3. ऐतिहासिक काल ( Historical Period )
- इसके बारे में लिखित स्त्रोत उपलब्ध है,और इसे पढा भी नहीं जा सक है इसके अंतर्गत वैदिक कल से लेकर अभी तक का समय आता है
सिक्का (coins)
सिक्के का अध्ययन न्यूमेसमेटिक्स कहलाता है
- 1) टेराकोटा का सिक्का मिट्टी का बना था यह सिंधु सभ्यता में बना था
- 2) मौर्य काल के समय आहत या पंचमार्ग सिक्के का प्रयोग हुआ आहत सिक्कों पर लिखावट नहीं होती थी केवल चित्र बने होते थे यह पहला धातु का सिक्का था
- 3) पर्ण चांदी के सिक्के थे जो मौर्य काल में प्रचलित थे
- 4) शीशा का सिक्का सातवाहन काल में प्रचलित थे
- 5) पहली बार सोने का सिक्का यूनानी शासकों द्वारा प्रचलित किया गया
- 6) शुद्ध सोने का सिक्का कुषाण शासकों द्वारा प्रचलित किया गया 8) सर्वाधिक मात्रा में तथा सबसे अधिक शुद्ध सोने का सिक्का गुप्त काल में प्रयोग हुआ इस समय स्कंद गुप्त शासक थे
- 8) चांदी का सिक्का गुप्त काल में चंद्रगुप्त-II विक्रमादित्य के समय प्रचलित हुआ
- 9) मयूर शैली की सिक्का गुप्त काल में समुद्रगुप्त के समय प्रयोग मैं लाया गया इस सिक्के का प्रचलन गुप्त काल में सर्वाधिक था 10) कौड़ी का प्रयोग भी गुप्त काल में ही हुआ
- 11) चमड़े का सिक्का हुमायूं के शासनकाल में साबुद्दीन ने प्रारंभ किया
- 12) रुपए का प्रारंभ शेरशाह सूरी ने किया
- 13) दाम का प्रारंभ शेरशाह सूरी ने ही किया
- 14) सोने की अशर्फी का प्रारंभ भी शेरशाह सूरी ने ही किया
अभिलेख (Epigraph/inscription)
- पत्थरों को खोदकर लिखना अभिलेख कहलाता है
- छोटे पत्थरों पर लिखना शिलालेख कहलाता है
- स्तंभ के समान ऊंचे पत्थरों पर लिखना स्तंभ लेख कहलाता है
प्रमुख अभिलेख
- पहला अभिलेख बोगज़गोई से मिला जो तुर्की या एशिया माइनर में है
- विश्व में अभिलेख लिखने का प्रारंभ ईरान के शासक डेरियस ने किया था
1) हाथी गुफा अभिलेख (उड़ीसा)-
इसे कलिंग राजा खारवेल ने लिखा इसमें कलिंग युद्ध की चर्चा है युद्ध के समय कलिंग का राजा नंदराज था
2) ऐहोर अभिलेख (राजस्थान) -
पुलकेसीन II ने हर्षवर्धन पर विजय की चर्चा की है
3) जूनागढ़ अभिलेख (गुजरात)-
उसमें रुद्रदामन ने सुदर्शन झील की चर्चा की है उस झील को चंद्रगुप्त मौर्य ने बनवाया था
4) प्रयाग अभिलेख (इलाहाबाद)-
इसमें समुद्रगुप्त ने अपने विजय अभियान की चर्चा की है
स्तंभ लेख (Pillar/Edicts)
- यह स्तंभ के सामान ऊंचे होते हैं
- गरुड़ध्वज स्तंभ लेख (M.P.)-इसमें भागभ्रद ने भागवत धर्म की जानकारी दी है
विदेशी यात्रा द्वारा भारत का वर्णन
- 1) हीरोडॉटस- हिस्टोरिका
- 2) मेगास्थनीज- इंडिका
- 3) perplus of the erythrean Sea- अज्ञात
- 4) टोलमी- जियोग्राफीका
- 5)प्लिनी -natural historica
- 6) अलबेरूनी- किताबल हिंद/तहकीक ए हिंद
- 7) मार्कोपोलो- चीन का यात्री
- 8) फाहियान- फो क्यों की(चंद्रगुप्तII)
- 9)ह्ववेंसांग- सी यू की(हर्षवर्धन)
- 10) तारा नाथ- कंग्यूर,तंग्यूर
- फाहियान (399ई.)- फो क्यू कि पुस्तक जय चंद्रगुप्त II विक्रमादित्य के दरबार में आया था इसमें उस समय के भवन तथा कौड़ी की चर्चा है
- संयुगन(518ई.)- चीन इसमें अपने 3 वर्ष की यात्रा में बौद्ध धर्म की प्रतियां एकत्रित की
- ह्ववेंसांग (629ई.)- सी यू की यह हर्षवर्धन के दरबार में आया इसमें नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन तथा अध्यापन दोनों किया इसे यात्रियों का राजकुमार कहते हैं
- इत्सिंग (673ई.)- यह चीनी यात्री था यह त्रिपिटक की 400 प्रतियां अपने साथ चीन लेकर गया था
- इब्नबतूता- यह मोरक्को का रहने वाला था यह 7000 किलोमीटर की यात्रा करके मोहम्मद बिन तुगलक के दरबार में आया इसकी पुस्तक रेहला थी
- अब्दुल रज्जाक- यह फारस का रहने वाला था विजयनगर काल में आया था इसका पुस्तक मतला ए शाहीन है जय कृष्णदेव राय के दरबार में आया था
- फाहियान (399ई.)- फो क्यू की पुस्तक ही है चंद्रगुप्त II विक्रमादित्य के दरबार में आया था इसमें उस समय के भवन तथा कौड़ी की चर्चा है
- संयूगन (518ई.)- चीन इसमें अपने 3 वर्ष की यात्रा में बौद्ध धर्म की प्रतियां एकत्रित की
- ह्ववेंसांग (629ई.) सी यू की यह हर्षवर्धन के दरबार में आया इसने नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन तथा अध्यापन दोनों किया इसे यात्रियों का राजकुमार कहते हैं
साहित्यिक स्त्रोत
- लिखित स्त्रोत का साहित्यिक स्रोत कहते हैं प्राचीन इतिहास की जानकारी का यह सबसे बड़ा स्त्रोत है
- गैर धार्मिक स्त्रोत-इसका संबंध किसी भी धर्म से नहीं रहता है
- उदाहरण: अर्थशास्त्र:-गैर धार्मिक स्त्रोत-इसका संबंध किसी भी धर्म से नहीं रहता है उदाहरण: अर्थशास्त्र
- धार्मिक स्त्रोत-इसका संबंध किसी न किसी धर्म से रहता है
- गैर ब्राह्मण-वैसे स्त्रोत जिसका संबंध हिंदू धर्म से नहीं रहता उसे गैर ब्राह्मण कहते हैं
- जैन साहित्य-यह प्राकृतिक भाषा में मिले हैं इन्हें आगम कहते हैं उदाहरण: 12 अंग, 12 उपांग, अचरंग सूत्र, भगवती सूत्र, कल्पसूत्र, आदि पुरान
- बौद्ध साहित्य-बौद्ध साहित्य पाली भाषा में मिले हैं जातक ग्रंथ में महात्मा बुद्ध के पूर्व जन्म को 200 कहानियां हैं
- ललित विस्तार में महात्मा बुद्ध की पूरी जीवनी है
- अंगत्तर निकाय में 16 महाजनद की चर्चा है
- बौद्ध धर्म की सबसे पवित्र पुस्तक त्रिपिटक है जो तीन पुस्तकों का समूह है
- सुत्त पिटक-यह सबसे बड़ा पिटक है इसे बौद्ध धर्म का इनसाइक्लोपीडिया कहते हैं
- विनय पिटक-यह सबसे छोटा पिटक है इसमें बौद्ध धर्म के प्रवेश की चर्चा है
- अभीधम्म पिटक-इसमें महात्मा बुद्ध के दार्शनिक विचारों की चर्चा है
वेद
- वेद का शाब्दिक अर्थ ज्ञान होता है
- वेद वेदों की रचना ईश्वर ने की है अतः वेद को अपौरुषेय कहा जाता है
- गुप्त काल में कृष्ण दैवायन व्यास ने वेदों का संकलन किया प्रारंभ में वेदों की संख्या 3 है ऋग्वेद, सामवेद तथा यजुर्वेद थी अतः वेद को त्रायी कहा जाता है
- अथर्ववेद को बाद में शामिल किया गया इसलिए इसे वेदत्रायि में नहीं रखते हैं
1. ऋग्वेद- इसका शाब्दिक अर्थ मंत्रों/ऋचाओ का संग्रह होता है संग्रह होता है इसमें 10 मंडल, 1028 युक्त तथा 10580 ऋचाएं है ऋचाएं की अधिकता के कारण इसे ऋग्वेद कहते हैं यह सबसे प्राचीन एवं सबसे बड़ा वेद है इसमें गायत्री मंत्र की चर्चा की है जो सूर्य भगवान को समर्पित है
- पहली बार शुद्र का प्रयोग ऋग्वेद में हुआ
- ऋग्वेद का दूसरा तथा सातवां मंडल पुराना है क्योंकि इसका संकलन बाद में हुआ
- नौवें मंडल में सोम देवता की चर्चा है
- ऋग्वेद के ज्ञानी को होतृ कहते हैं
- इसमें दसराज्ञ युद्ध की चर्चा है
- ऋग्वेद का उपवेद आयुर्वेद है, जिसमें चिकित्सा की चर्चा है इसके ज्ञानी को प्रजापति कहते हैं
- इसमें दासराज युद्ध की चर्चा है
2. सामवेद- साम का शाब्दिक अर्थ गान होता है इसमें 1875 मंत्र हैं किंतु वास्तव में 99 मंत्र ही सामवेद के हैं बाकी मंत्रों को ऋग्वेद से ग्रहण कर लिया है
- सामवेद में भारतीय संगीत के साथ स्वर सा, रे, ग, म, प, ध, नी की चर्चा है
- यह संगीत यज्ञ के समय गाए जाते हैं
- सामवेद ज्ञानी को उदगाता कहते हैं
- सामवेद का उपवेद गंधर्ववेद है
- गंधर्ववेद के ज्ञानी को नारद कहते हैं
- भारतीय संगीत का जन्म सामवेद से हुआ है
- प्रागैतिहासिक काल PreHistoric Period Details Notes
- आद्य ऐतिहासिक काल ProtHistoric Period Details Notes
- सिक्का Test & Quiz
- सिक्का One Liner Question
- अभिलेख Quiz
- अभिलेख One Liner Question
- सिन्धु सभ्यता Test & Quiz
Important Topics
3. यजुर्वेद- इसमें 1990 मंत्र है इसमें युद्ध एवं कर्मकांड की चर्चा है
- यह एकमात्र वैद है जो गद्य और पद्य दोनों में है
- इसे दो भागों में बांटते हैं
1) कृष्ण यजुर्वेद
2) शुक्ल यजुर्वेद
- इस गाने को आधर्यु कहते हैं यजुर्वेद का उपवेद धनुर्वेद है धनुर्वेद की ज्ञानी को विश्वामित्र कहते हैं
- सामवेद में भारतीय संगीत के साथ स्वर सा, रे, ग, म, प, ध, नी की चर्चा है
- यह संगीत यज्ञ के समय गाए जाते हैं
- सामवेद ज्ञानी को उदगाता कहते हैं
- सामवेद का उपवेद गंधर्ववेद है
- गंधर्ववेद के ज्ञानी को नारद कहते हैं
- भारतीय संगीत का जन्म सामवेद से हुआ है
4. अथर्ववेद- इसकी रचना सबसे बाद में उत्तर वैदिक काल में हुई इसमें 6000 मंत्र है
- इसमें जादू टोना, वशीकरण, रोग निवारक औषधि इत्यादि की चर्चा है
- अथर्ववेद का उपवेद शिल्पवेद है
- अथर्ववेद के ज्ञानी को ब्रह्म कहा जाता है
- अथर्वा ऋषि ने इस वेद को लिखा है
- अथर्ववेद में सर्वप्रथम मगध, अंग और राजा परीक्षित के बारे में उल्लेख किया गया है
- ब्राह्मण ग्रंथ- वेदों को अच्छी तरह से समझने के लिए ब्राह्मण ग्रंथ की रचना किया गया सभी वेद के अपने-अपने ब्राह्मण ग्रंथ हैं
Note:- वैदिक काल में जौ(यव), गेहूं (गोधून),चावल(ब्रिही) कहा जाता है
- आरण्यक- वैसी पुस्तक जिसकी रचना जंगल में की गई हो आरण्यक कहलाता है इसकी संख्या 7 है
- अथर्ववेद को छोड़कर सभी पुस्तक आरण्यक है
- वेदांग - वेदों को भली-भांति समझने के लिए वेदांग की रचना की गई
- वेदांग की सांख्य 6 है
- निरुक्त की रचना यास्क महोदय ने किया जिसका अर्थ भाषाविज्ञान होता है
- गौतम ऋषि ने कल्प की रचना किया
- वेद वेदांग पढ़ाने वाले अध्यापक को उपाध्याय कहते हैं
पुराण
- इसकी रचना महर्षि लोमहर्षक तथा उग्रश्रवा ने किया इसकी संख्या 18 है
- इसे पांचवा वेद या वेदों का वेद कहते हैं
- सबसे प्राचीन राजवंशो की जानकारी मिलती है
- स्त्री और शूद्र को इसे पढ़ने की अनुमति नहीं थी वे इसे सुन सकते थे
- विष्णु पुराण -इससे मौर्य वंश की जानकारी मिलती है
- मत्स्य पुराण- इससे सातवाहन वंश की जानकारी मिलती है इसमें विष्णु भगवान के 10 अवतारों की चर्चा है
- वायु पुराण- इसमें गुप्त वंश की जानकारी मिलती है इसमें लिखा है कि समुद्रगुप्त का घोड़ा तीन समुद्र का पानी पीता था
- उपनिषद- इसका अर्थ होता है गुरु के समीप बैठकर ज्ञान प्राप्त करना यह ब्राह्मणों के विरुद्ध राजपूतों की 1 प्रक्रिया मानी जाती है
- उपनिषद 108 है किंतु 13 उपनिषदों को ही मान्यता प्राप्त है
- वृहद नारायण उपनिषद- यह सबसे बड़ा तथा प्राचीन है
- कठोपनिषद- इसमें यम एवं नचिकेता की चर्चा है इसमें ऊं शब्द के महत्व को दर्शाया गया है
- मुंडकोपनिषद- इसमें सत्यमेव जयते की चर्चा है
- जबालोपनिषद- इसमें ब्राह्म, विष्णु एवं महेश अर्थात त्रिमूर्ति की चर्चा है सर्वप्रथम चार आश्रमों के बारे में उल्लेख इसी उपनिषद में किया गया है
- अलोपनिषद - यह सबसे बाद का उपनिषद है इसकी रचना अकबर के साथ हुई
- स्मृति साहित्य- इसमें प्राचीन राजवंशों की जानकारी मिलती है स्मृति साहित्य की संख्या 36 है विष्णु स्मृति+नारद स्मृति से गुप्त काल की जानकारी मिलती है
- मनु स्मृति तथा याज्ञवल्क्य स्मृति से मौर्य काल की जानकारी मिलती है
- याज्ञवल्क्य स्मृति में जुआ खेलने को उचित बताया गया
- मनु स्मृति को धर्म शास्त्र कहते हैं इसमें ऊंची जाति को वरीयता दी गई है दलित तथा महिलाओं को निचे दिखाया गया है
- इसमें विवाह के लिए पुरुष की आयु 25 वर्ष तथा लड़की की आयु 12 वर्ष बताया गया है
- इसमें8 प्रकार के विवाह की चर्चा है
- संस्कार की संख्या 16 होती है
- दाह संस्कार अंतिम संस्कार होता है
- ऋण तीन प्रकार के होते हैं
1) देवऋण- धार्मिक अनुष्ठान कर इससे मुक्ति मिलती थी
2)ऋषिऋण- इसमें अपने पुत्र को शिक्षित कर इससे मुक्ति मिलती थी
3) पितृऋण- संतान उत्पन्न कर इस ऋण से छुटकारा पाया जा सकता था
- पुरुषार्थ चार प्रकार के होते हैं
1) धर्म- समाजिक नियम व्यवस्था
2) अर्थ- आर्थिक संसाधन
3) काम- शारीरिक सुख भोग
4) मोक्ष- आत्मा का उद्धार
- आश्रम की संख्या 4 है
- जन्म से 5 वर्ष की अवस्था को बाल्यावस्था या शिशुअवस्था कहते हैं
1) ब्रहाचार्य- 5 वर्ष से 25 वर्ष (गुरुकुल में शिक्षा)
2) गृहस्थ जीवन-25 वर्ष से 50 वर्ष(परिवार के साथ)
3) वानप्रस्थ- 50 वर्ष से 75 वर्ष (सामाजिक तथा धार्मिक जीवन)
4) सन्यासी- 75 वर्ष से (वन में तपस्या)
- महाकाव्य-महाकाव्य की संख्या 2 है
1) महाभारत
2) रामायण
- रामायण- इसकी रचना महर्षि वाल्मीकि ने की प्रारंभ में इसमें 12000 श्लोक दे वर्तमान में 24000 श्लोक है इसे गुप्त काल में पूरा किया गया था
- अकबर के समय रामायण का फारसी भाषा में अनुवाद बदायूनी ने किया
- महाभारत- यह विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है इसकी रचना वेदव्यास ने की इसका प्रारंभिक नाम जय संहिता था जिसमें 8800 श्लोक थे वर्तमान में 1लाख श्लोक हैं
- महाभारत के खंडों को पर्व कहा जाता है इसमें कुल 18 पर्व हैं सबसे महत्वपूर्ण पर्व भीष्म पर्व है जिसमें अर्जुन तथा कृष्ण वार्तालाप की चर्चा है भीष्म पर्व को भागवत गीता या गीता कहा जाता है
- अकबर के समय महाभारत का फारसी भाषा में रज्जनामा के नाम से अनुवाद किया गया था
वैदिक काल
- इसमें वैदिक काल से लेकर राजपूत काल तक का अध्ययन किया जाता है
- वैदिक समाज के निर्माता आर्य थे
- आर्य मध्य एशिया से आए थे और भारत में सप्त सैंधव प्रदेश में 7 नदियों का प्रदेश में बस गए
- आर्यों की भाषा संस्कृति थी जो देवताओं की भाषा थी जिस कारण आर्य स्वयं को श्रेष्ठ कहते थे जिन्हें संस्कृत नहीं आता था अर्थात भारत में मूल निवासियों को अनार्य या निम्न कहा जाता था
- दक्षिण भारत का आर्यीकरण अगस्त ऋषि ने किया
- उत्तर भारत का आर्यीकरण राजा विदेह के पुरोहित गौतम राहुगढ़ ने किया किंतु यह गंगा नदी को पार करके पटना नहीं पहुंच पाए जिस कारण अथर्ववेद में पाटलिपुत्र को अछूतों की भूमि कही गई है और यहां के गंगाजल को पवित्र नहीं माना गया है
- इस समय सबसे प्रिय पशु गाय थी जो समृद्धि का संकेत थी गाय की हत्या करने पर मृत्युदंड दिया जाता था
- राजा का मुख्य कार्य गाय के लिए युद्ध करना था उस समय अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि था वैदिक समाज ग्रामीण सभ्यता थी ऋग्वेद के 7वें मंडल में दशराज्ञ युद्ध की चर्चा है जो आर्य तथा अनार्य के बीच हुआ उसमें आर्य विजई हुआ आर्यों का कबीला भरत था इसी कारण उस समय जाति का निर्धारण कर्म के आधार पर होता था किंतु उत्तर वैदिक काल में जाति का निर्धारण वंश के आधार पर होने लगा उत्तर वैदिक काल में ही लोहे की खोज हुई
वैदिक काल की नदिया
- वैदिक साहित्य में सर्वाधिक चर्चा सिंधु नदी की है क्योंकि यह सबसे महत्वपूर्ण नदी थी
वैदिक काल के देवता
1) इंद्र- यह सबसे महत्वपूर्ण थे इसकी चर्चा 250 बार हुई हैं इन्हें युद्ध तथा वर्षा का देवता कहते हैं इन्हें पुरंदर भी कहते हैं
2) अग्नि- इसकी चर्चा 200 बार है
3) सोम- जंगल के देवता
4) मारुत- तूफान के देवता
5) वरुण- वायु
6) रौद्र- यह सब से क्रोध वाले देवता थे इन्हें पशुओं के देवता कहते हैं
7) विष्णु- संरक्षक एवं पालन करता
8)पुषण- पशुओं का देवता
- गविष्ट का अर्थ होता है- गाय के लिए किया गया युद्ध
- सीता का अर्थ होता है हल से जोती गई जमीन पर पड़ा निशान
- वैदिक काल Test & Quiz
- वैदिक काल One Liner Question
- पुराण Quiz
- पुराण One Liner Question
- महाभारत Test & Quiz
Important Topics
वैदिक काल की सामाजिक व्यवस्था
- इस समय सबसे बड़ा पद राजा का होता था जिसे जनता चुनती थी राजा किसी भी निर्णय को लेने से पहले विभिन्न समितियों में बैठकर इसकी चर्चा करता था
- वैदिक काल में तीन प्रमुख संगठन थी
1) सभा- यह निम्न साधारण लोगों का संगठन था उसकी चर्चा 8 बार है
2) समिति- यह उच्च वर्ग के लोगों का संगठन था उसकी चर्चा 9 बार हुई है
3) विद्थ- यह सबसे महत्वपूर्ण संगठन था इसकी चर्चा 122 हुई है
Note: सभा तथा विदय में भाग लेने की अनुमति महिलाओं को भी थी
- वैदिक समाज की सबसे छोटी इकाई गांव की जिसके मालिक को ग्रामीण कहते हैं
- सबसे बड़ी इकाई जन होती थी जिसके मालिक को राजन कहते थे
- महाजनपद का काल सिंधु सभ्यता के बाद दूसरी नगरीय सभ्यता थी
- उत्तर वैदिक काल में लोहे की खोज हो जाने के कारण कृषि तथा अर्थव्यवस्था में तेजी से परिवर्तन होने लगा और समाज धीरे धीरे ग्रामीण सभ्यता से नगरीय सभ्यता की ओर अग्रसर होने लगा जन का आकार बढ़ कर जनपद हो गया और यह जनपद आगे चलकर महाजनपद का रूप ले लिया
- भारत में कुल 16 महाजनपद हुए हैं जिसकी चर्चा बौद्ध ग्रंथ अंगुतर निकाय में है
- 16 महाजनपद में सबसे समृद्ध तथा सबसे शक्तिशाली महाजनपद मगध था जो आगे चलकर इंन जनपदों पर अधिकार कर लिया
- वैदिक काल में Tax को बलि कहते थे जबकि देवताओं को खुश करने के लिए पशु बलि दी जाती थी
- इस समय घड़ा, मनका या मृदभांड चार प्रकार के होते थे
1) धूसर मृदभांड
2) काला मृदभांड
3) लाल मृदभांड
4) मिश्रित मृदभांड
- सर्वाधिक प्रचलन धूसर मृदभांड का था जिस पर चित्र बने होते थे जिसके कारण इसे चीचित्र धूसर मृदभांड भी कहते हैं
- मिश्रित मृदभांड लाल एवं काला दोनों का मिश्रण होता था
- इस समय 3 प्रकार के यज्ञ का प्रचलन था
1) अवश्मेघ यज्ञ - इसमें घोड़ा को यज्ञ करके छोड़ दिया जाता था जहां तक घोड़ा जाता था वहां तक का क्षेत्र राजा ले लिया था घोड़ा को रोकने वाले व्यक्ति को राजा के साथ युद्ध करना पड़ता था
2) वाजपेई यज्ञ- यह राजा के शक्ति प्रदर्शन के लिए होता था इसमें रथो की रेस लगाई जाती थी
3) राजसूय यज्ञ- राज्याभिषेक के समय इस जग को किया जाता था
- उत्तर वैदिक काल में जब अति रंजीखेरी से लोहे की खोज हुई तो वैदिक काल की अर्थव्यवस्था पशुपालन के स्थान से कृषि पर आधारित हो गई
- वैदिक काल में षष्ठ दर्शन दिए गए
1) सांख्य दर्शन- कपिल
2) व्याय दर्शन- गौतम
3) योग दर्शन- पतंजलि
4) वैशिषिक दर्शन- कणद
5) उत्तर मीमांसा- वादरायण
6)पूर्वी मीमांसा- जैमिनी
Note- गौतम बुद्ध के अधिकतर उपदेश सांख्यदर्शन से लिए गए हैं
- सिंधु सभ्यत तथा वैदिक सभ्यत में अंतर